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नये चीनी वायरस से दहशत में देश, भारत सरकार सतर्क!नये चीनी वायरस से दहशत में देश, भारत सरकार सतर्क!
नव वर्ष 2025: एक नई शुरुआत का जश्नप्रस्तावना: नई उम्मीदों का सूर्योदयनव वर्ष, एक ऐसा समय होता है जब पुरानी यादों को समेटते हुए हम भविष्य की नई संभावनाओं की ओर कदम बढ़ाते हैं। हर साल की तरह, 2025 का आगमन भी जीवन में नई ऊर्जा, नई सोच, और नए लक्ष्यों को लेकर आता है। यह केवल तारीख बदलने का समय नहीं, बल्कि अपने जीवन को फिर से संवारने और बेहतर बनाने का अवसर है।नव वर्ष का महत्वनव वर्ष हर किसी के लिए खास होता है। यह दिन जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और नई शुरुआत करने का प्रतीक है। पूरी दुनिया में इसे वि...
जय श्री कृष्ण प्रिय पाठकों, कैसे हैं आप? आशा करते हैं कि आप स्वस्थ और प्रसन्न होंगे। आज हम आपके लिए लेकर आए हैं एक ऐसी पौराणिक कथा, जो यह सिखाती है कि वासना कैसे विनाश का कारण बन सकती है। आइए जानते हैं सुंद-उपसुंद की कथा।हिरण्यकशिपु के वंशज सुंद-उपसुंदहिरण्यकशिपु के वंश में राक्षस निकुंभ के दो पुत्र हुए, सुंद और उपसुंद। ये दोनों भाई अपने समय के शक्तिशाली राक्षस थे। दोनों में इतना प्रेम था कि उन्हें 'दो शरीर और एक आत्मा' कहा जाता था।दोनों के स्वभाव, रुचियाँ और विचार समान थे। वे हमेशा साथ रहते, सा...
https://youtu.be/BSHmn969i4Y?si=4TfNVPPEQ4TmuSUd
यह छवि एक सूक्तिवाक्य पर आधारित है, जिसमें कहा गया है कि "चम्मच जिस बर्तन में रहता है, उसी बर्तन को खाली कर देता है। इसलिए चम्मचों से सावधान रहें।"। इस कथन को एक गहरे प्रतीकात्मक और सामाजिक संदर्भ में समझा जा सकता है। यह लेख इसी विचारधारा को विस्तार से समझाने और इसे विभिन्न पहलुओं में उजागर करने का प्रयास करेगा।चम्मच का प्रतीकवादचम्मच एक ऐसा उपकरण है जो दूसरों के लिए काम करता है, लेकिन खुद के लिए कुछ भी उत्पादित नहीं करता। इसी प्रकार, यह कथन उन व्यक्तियों या तत्वों पर व्यंग्य करता है जो किसी संस...
नमस्कार, "राष्ट्र की बात" में आपका स्वागत है। मैं हूं, विश्राम सिंह यादव। आज हम "सत्यमेव जयते" के बारे में चर्चा करेंगे। यह क्या है, और इसकी परिभाषा क्या है? आइए, इसे समझने की कोशिश करते हैं।सत्यमेव जयते: सत्य की अनन्त विजय की गाथाभूमिका"सत्यमेव जयते" एक ऐसा उद्घोष है जो भारतीय सभ्यता और संस्कृति की गहराई में सत्य की अपरिहार्यता को दर्शाता है। यह उद्घोष न केवल हमारे राष्ट्रीय प्रतीक के नीचे अंकित है, बल्कि यह हमारे जीवन और आदर्शों की नींव भी है। इस लेख में हम "सत्यमेव जयते" के ऐतिहासिक, सांस्कृत...
नमस्कार, “राष्ट्र की बात” में आपका स्वागत है। मैं हूं, विश्राम सिंह यादव। आज हम “सत्य और असत्य” के बारे में चर्चा करेंगे। यह क्या है, और इसकी परिभाषा क्या है? आइए, इसे समझने की कोशिश करते हैं।"सत्य और असत्य: एक गहरी समझ और उनके समाज पर प्रभाव"परिचयसत्य और असत्य, ये दो शब्द हमारे जीवन का अहम हिस्सा हैं, जो हमारे विचार, व्यवहार और दृष्टिकोण को प्रभावित करते हैं। हर व्यक्ति के जीवन में सत्य और असत्य की अवधारणा अलग-अलग रूप में सामने आती है। सत्य वह है जो वास्तविकता के अनुसार होता है, जबकि असत्य वह ह...
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